दुनियाभर में हर साल, 7 लाख से ज्यादा लोग suicide करते हैं और suicide attempt की संख्या इससे कई गुना ज्यादा है। यह डब्ल्यूएचओ का डाटा है। 15-29 साल के बच्चों में मौत का चौथा सबसे बड़ा कारण suicide है और दुनियाभर में होने वाली 77% suicides, low और middle-income वाले देशों में होती हैं। Mental Trauma, stress या फिर किसी भी तरह की financial और social troubles के चलते, बहुत से लोग सुसाइड को बेहतर ऑप्शन समझते हैं। सुसाइड एक public health issue है, जो लाखों लोगों को इफेक्ट करता है, लेकिन इसका कारण आखिर क्या है।
बच्चों की पढ़ाई को लेकर पेरेंट्स का फाइनांशियल बरडन, बच्चों को इफेक्ट करता है, क्योंकि वो रोज उन्हें याद दिलाते हैं कि हम तुम्हारी पढ़ाई पर इतना पैसा खर्च कर रहे हैं, तुम्हें बढ़िया रिजल्ट लाना ही होगा। अगर तुम फेल हुए तो सोसाइटी में हमारी रेपोटेशन का क्या होगा। स्कूल में टीचर का मेंटल टॉर्चर - यह तो निकम्मा है, फेल हो जाएगा, करियर में कुछ नहीं कर पाएगा। और जब ये स्टूडेंट अपने मां-बाप की एक्सपेक्टेशन पूरा नहीं कर पाते, तो Three इडियट मूवी के राजू रस्तोगी की तरह सुसाइड का रास्ता चुनते हैं। इसके अलावा, बेस्ट फ्रेंड्स या पार्टनर से ब्रेकअप की वजह से अगर सुसाइड के ख्याल आपके दिमाग में आ रहे हैं, तो याद रखिए इनके अलावा भी, दुनिया में अरबों लोग हैं और खासकर आपका परिवार। आर्थिक तंगी की वजह से अक्सर किसान, बिजनेसमैन या कई मिडल क्लास लोग सुसाइड कर लेते हैं। भले ही आपको लगे कि सुसाइड करने से आपकी परेशानी खत्म हो जाएगी, लेकिन क्या आपने कभी ऐसा सोचा है कि आपके बाद, आपका परिवार कैसे सर्वाइव करेगा। जिंदगी के ऐसे मुश्किल दौर में अपनों का सहारा बनें। चाहे कैसी भी परिस्थिति हो, उन्हें स्वीकार करें और एक साथ उनका सामना करें।
बुढ़ापे में दोस्त दूर हो जाते हैं और माइक्रो फैमिली की वजह से, अपनों का भी साथ और समय नहीं मिल पाता। यह जिंदगी का वो दौर है, जब हम पैसे से लेकर हर चीज के लिए दूसरों पर डिपेंड हो जाते हैं। ध्यान रखें कहीं आपके परिवार के बुजुर्ग भी इस अकेलेपन और डिप्रेशन की वजह से दुखी तो नहीं। लोगों को न तो खुद पर और न ही अपने परिवार, पेरेंट्स या भगवान पर भरोसा है। खुद पर भरोसा करना, हमें सेल्फ कॉन्फिडेंट बनाता है, और एक कॉन्फिडेंट व्यक्ति हार को भी जीत में बदल सकता है। अगर आपका कोई करीबी डिप्रेशन में है या फिर सुसाइड के बारे में सोच रहा है, तो उसकी प्रोबलम सुनें। आप किसी की जान बचा सकते हैं महात्मा गांधी जी के पास कोई सेना नहीं थी। उनमें आत्म विश्वास था, और अंत तक, लड़े भी। कोई भी सिचुएशन हो, उसकी पॉसिबिलिटी तलाशें। मान लीजिए आपके सामने एक सुरंग है, अगर आप उसमें जाएंगे, तो अंधेरा जरूर होगा, लेकिन जब आप उसे पार कर लेंगे, तो रोशनी भी दिखेगी। इस सुरंग में रुक जाना, सोल्यूशन नहीं है। लाइफ भी इस सुरंग की तरह है, अगर आप हार नहीं मानते, तो निस्संदेह, आगे एक ब्राइट फ्यूचर आपके इंतजार में होगा। जनता सरकार को अपना गार्जियन मानती है, ऐसे में आर्थिक तंगी से परेशान लोगों के लिए सरकार को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए, ताकि देश का हर नागरिक एक अच्छा और सम्मानपूर्वक जीवन जी सके।